भारत के पारम्परिक खेलों में से एक कबड्डी का खेल देशभर में ही नहीं दुनिया भर में प्रसिद्द है. बताया जाता है कि कबड्डी की शरुआत भारत से हुई है. लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि कबड्डी कि शुरुआत ईरान से हुई है. लेकिन जहां से भी हुई हो कबड्डी का खेल काफी पुराना है. वहीं ओलम्पिक ने इस खेल को 4000 साल से भी ज्यादा पुराना माना है. इस खेल का प्रमाण कई भारतीय पुराने ग्रंथों में भी मिला है.
4000 साल पुराना माना जाता है कबड्डी खेल को
कोई इतिहासकार इस खेल का सम्बन्ध महाभारत काल से भी जोड़ते है. जिसमें एक प्रसंग के तहत इस खेल को समझाया गया है. बताय जाता है जब कौरवों और पांडवों में युद्ध हो रहा था तब इस खेल का उपयोग कौरवों ने किया था. दरअसल बताया जाता है कि जब अभिमन्यु को चक्रव्यूह में फसाया गया था तब कौरवों ने सात दरवाजे बनाए थे. जिसमें से निकलना अभिमन्यु के लिए मुश्किल था. तो उन्हीं सात दरवाजों का सम्बन्ध कबड्डी के खेल में साथ खिलाड़ियों से जोड़ा जाता है.
वहीं कुछ लोगों का मानना है कि कबड्डी का उल्लेख बौद्ध साहित्य में भी मिलता है. जो यह साबित करता है कि कबड्डी का खेल काफी पुराना है. गौतम बुद्ध को ही कबड्डी के शुरुआत का जंक माना जाता है. कहा जाता है कि वह इस खेल को अपने साथियों के साथ खेला करते थे.
वहीं ईरान वाले भी इस खेल को अपने देश का मानते है. बता दें एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया ने कबड्डी का इतिहास अपनी वेबसाइट पर डाला हुआ है. जिसमें लिखा है कि आधुनिक कबड्डी 1930 से पूरे भारत और दक्षिण एशिया के हिस्से में खेला जा रहा है. भारत के स्वदेशी खेल के रूप में कबड्डी के नियमों का पहला लेखाजोखा साल 1921 में किया गया था.
इसके बाद 1923 में एक समिति का गठन भी किया गया था. इसमें ही इन नियमों का संशोधन किया गया था. जिसके बाद इन्हीं नियमों का यहाँ लागू किया गया था. ओलम्पिक में इस खेल को साल 1936 में बर्लिन ओलम्पिक में शामिल किया गया था.