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मधेपुर के रहने वाले एक खिलाड़ी की दास्ताँ जो है काफी दुखभरी. कबड्डी को अपना सपना मानते हुए उन्होंने करियर की शुरुआत की थी लेकिन अब आलम ऐसा आ गया है कि वह छोटी सी किराने की दूकान चलाने को मजबूर हो चुका है. दस साल पहले तक दुर्गा कुमार अपने क्षेत्र में काफी चर्चित कबड्डी खिलाड़ी रहा हैं. कबड्डी के मैदान में आते ही विरोधी टीम के पसीने छूट जाते थे.
दुर्गा ने क्षेत्रीय स्तर पर कमाया था कबड्डी में नाम
वहीं इसी कबड्डी कोर्ट में उनके पैर में फ्रैक्चर हुआ और आर्थिक तंगी के कारण वह अपने पैर का सही से इलाज नहीं करा पाया था. इसी के साथ उसका सारे अरमान खत्म हो चुके थे और आगे जाने के लिए करियर भी खत्म हो चुका था. आज उसकी हालत यह हो गई है कि वह एक छोटी सी दूकान चलाता है और कोई नहीं कह सकता कि वह कभी कबड्डी का शानदार खिलाड़ी रहा होगा.
इतना ही नहीं घर का गुजारा इस छोटी से दूकान से भी नहीं हो पाटा है तो वह मजदूरी भी करता है. दिहाड़ी के तौर पर वह मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए मजबूर है. वहीं दुर्गा ने बताया कि स्कूल के समय से ही वह कबड्डी के खेल में आ चुका था. तभी से उसनें अपने कोच और शारीरिक शिक्षक से कबड्डी की बारीकियां सीखने का प्रयास किया था. और उसका सपना था कि एक दिन वह भी भारत के लिए कबड्डी खेले. लेकिन साल 2012 में उसके पैर में फ्रैक्चर आने से पूरे सपने चकनाचूर हो गए थे.
दुर्गा ने बताया कि पैर का इलाज कराने में मुझे 8 से 10 लाख रुपए देने पड़ते और इतनी आर्थिक स्थिति मेरी अच्छी नहीं थी. वहीं जिला प्रशासन से भी मुझे कोई मदद नहीं मिली थी. इसी के चलते मुझे यह अवसर गंवाना पड़ा था. वहीं खिलाड़ियों को आगे अच्छे मौके मिले इसके लिए भी दुर्गा उनके लिए अच्छी कामना ही करते हैं.