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प्रो कबड्डी लीग में नौ सीजन खत्म हो चुके हैं. ऐसे में खिलाड़ियों की सहूलियत के हिसाब से इसमें नियम बनाए गए हैं. वहीं नियमों के हिसाब से देखे तो इसके नियम अन्तर्राष्ट्रीय कबड्डी खेल से अलग होते हैं. जो दर्शकों को समझना जरूरी है. वहीं प्रो कबड्डी लीग के नियमों की चर्चा करें तो इसके नियम अन्तर्राष्ट्रीय कबड्डी टूर्नामेंट से अलग नियम बनाए गए है.
प्रो कबड्डी लीग में होते है अलग नियम, जानिए उनके बारे में
प्रो कबड्डी लीग में चालीस मिनट के मैच होते है. जिसमें दो हाफ में बांटा जाता है. पहले हाफ यानी 20 मिनट के बाद टीमें कोर्ट चेंज कर लेती है. वहीं कबड्डी में भी क्रिकेट के जैसे अम्पायर के फैसले को चुनौती देने का मौका मिलता है.
रिव्यु सिस्टम यहा भी होता है. कबड्डी के कोर्ट पर दो लाइन्स होती है. पहली लाइन क्रॉस किए बिना रेडर वापस नहीं लौट सकता है.
अगर वह ऐसा करता है तो वह आउट माना जाता है. क्रॉस लाइन के पीछे बोनस लाइन भी होती है. अगर तेम में 6 से 7 खिलाड़ी मौजूद होते है और रेडर क्रॉस लाइन को पार करके बोनस लाइन तक पहुंच जाता है तो फिर बोनस अंक भी मिलते है. वहीं जब खिलाड़ी सुपर रेड लगाता है तब वह तीन खिलाड़ियों को एक साथ आउट करता है.
रेडर दो खिलाड़ियों को आउट कर बोनस अंक भी लेकर आता है तो उसे भी सुपर रेड कहते है. सुपर टैकल की बात करें तो टीम के अगर 3 या उससे कम खिलाड़ी कोर्ट में रहते है और रेडर को आउट कर देते है तो इसे सुपर टैकल कहते है. जब कोई रेडर मैच में अकेले 10 अंक या उससे अधिक अंक हासिल कर लेता है. इस पर उस खिलाड़ी को अंक अर्जित करने पर कहते है कि उसने सुपर 10
लगाया है. वहीं जब कोई डिफेंडर अकेले पांच अंक हासिल कर लेता है तो उसे हाई फाइव कहते है.